राजकीय शहीद हसन खान मेवाती मेडिकल कॉलेज में इलाज में देरी की वजह से मरीज की जान जाने का आरोप, परिजनों ने किया हंगामा।
- Submitted By: Haryana News 24 --
- Edited By: Liyakat Ali --
- Friday, 28 Jun, 2024
अरावली पर्वत की वादियों में लगभग 94 एकड़ भूमि में करीब 500 करोड रुपए की अधिक लागत से बनाया गया राजकीय शहीद हसन खान मेवाती मेडिकल कॉलेज नल्हड़ इलाज के नाम पर सफेद हाथी साबित हो रहा है। वैसे तो इस मेडिकल कॉलेज में इलाज में डॉक्टरों की लापरवाही का मामला एक बार नहीं बल्कि कई बार सामने आ चुका है, लेकिन गुरुवार को इलाज में देरी की वजह से पुनहाना खंड के इंदाना गांव की एक महिला रसीदन की जान चली गई।
इंदाना गांव से रसीदान पत्नी इस्लामुद्दीन 74 वर्ष निवासी इंदाना को बीमारी के चलते बेहतर उपचार के लिए गुरुवार को ही लाया गया था, लेकिन डॉक्टरों ने उसे तत्काल भर्ती करने के बजाय इधर - उधर घुमाया। पीड़ित के परिजनों का आरोप है कि सुबह 10 बजे वह उसे नलहड़ मेडिकल कॉलेज लेकर पहुंचे थे, लेकिन कई घंटे के बाद भी उसका उपचार शुरू नहीं किया गया। जिस समय महिला की जान जा रही थी, उस समय स्वास्थ्य कर्मचारी इलाज करने के बजाय तमाशबीन बनकर सारे नजारे को देखते रहे। महिला के परिजनों ने महिला की मौत के बाद हंगामा किया, लेकिन किसी के कान पर जूं तक नहीं रेंगी। आखिरकार कुछ देर बाद महिला के परिजन उसे अपने गांव इंदाना लेकर पहुंचे। उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेज प्रशासन की जिस प्रकार के लापरवाही है,
उसके खिलाफ शिकायत की जाएगी ताकि फिर उपचार की वजह से किसी की जान ना जाए। कुल मिलाकर पीड़ित परिजनों का आरोप है कि अगर समय रहते महिला का उपचार शुरू हो जाता तो शायद आज वह अपने परिवार के बीच में जीवित होती, लेकिन अब 74 साल की रसीदन इलाज में देरी की वजह से हमेशा के लिए दुनिया को छोड़ चुकी है। जब महिला के परिजन नलहड़ मेडिकल कॉलेज में मौत के बाद विलाप कर रहे थे तो वहां पर काफी भीड़ इकट्ठा हो गई। कुछ अन्य लोगों ने भी कहा कि इस अस्पताल में इलाज के नाम पर कुछ नहीं है। इतनी आलीशान बिल्डिंग होने के बावजूद भी यहां डॉक्टर, दवाइयों की कमी के साथ - साथ इलाज व स्टाफ के द्वारा लापरवाही भी बढ़ती जा रही है। जिससे आए दिन किस ना किसी मरीज की यहां जान जा रही है, लेकिन कोई भी कहने - सुनने वाला नहीं है। जिसकी वजह से लगातार मेडिकल कॉलेज प्रशासन अपनी मनमानी कर रहा है। जब इस बारे में मेडिकल कॉलेज प्रशासन से बात करने की कोशिश की गई तो वह पूरी तरह से चुप्पी साध गए।