शिक्षा बोर्ड ने बिना अनुभव वाले शिक्षकों से 10वीं की कॉपी चेक करवाने की खबर का किया खंडन
- Submitted By: Haryana News 24 --
- Edited By: Jagbir Ghanghas --
- Thursday, 09 May, 2024
शिक्षा बोर्ड 10वीं की वार्षिक परीक्षा की उतर पुस्तिका पारदर्शी तरीक़े से करवा रहा है चेक - चेयरमैन
उतर पुस्तिका चेक के लिए शिक्षकों को स्कूल भेजा जाता हैं और 10वीं पढ़ा रहे और अनुभवी शिक्षक ही करते है आंकलन।
चेयरमैन ने माना की बोर्ड की हिदायत के बाद 167 बिना अनुभव वाले शिक्षक आंकलन के लिए पहुँचे इनमें से 9 को रिलिव किया और 158 को वापस भेजा |
भिवानी। हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड ने उस खबर का खंडन किया है, जिसमें 200 ऐसे अध्यापकों द्वारा, जिन्होंने 10वीं की पढ़ाई नहीं करवाई पर 10वीं की बोर्ड परीक्षा की 18 हज़ार कॉपी चेक कर दी। खुद बोर्ड चेयरमैन डॉ वीपी यादव ने कहा कि ऐसा कुछ नहीं हुआ है।
आज एक राष्ट्रीय अख़बार में खबर छपी थी कि हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड की 10वीं कक्षा की वार्षिक परीक्षा की 18 हज़ार उतर पुस्तिका 200 ऐसे शिक्षकों ने चेक कर दी, जिन्होंने कभी 10वीं कक्षा को पढ़ाया ही नहीं। आज हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड चेयरमैन डॉ वीपी यादव ने प्रेस वार्ता कर इस खबर का का खंडन किया।
शिक्षा बोर्ड चेयरमैन डॉ वीपी यादव ने बताया कि बोर्ड द्वारा अंकन (उतर पुस्तिका चेक का कार्य) बोर्ड की पॉलिसी के अनुसार बिलकुल साफ़ व स्पष्ट तरीक़े से होता है। अंकन के लिए शिक्षकों की ड्यूटी बोर्ड के सॉफ़्टवेयर के माध्यम से द्वारा लगाई जाती है। इस सॉफ़्टवेयर में साफ़ है कि अंकन कार्य के लिए कम से कम तीन साल तक उस कक्षा को पढ़ाने का शिक्षक को अनुभव होना चाहिए।
शिक्षा बोर्ड चेयरमैन ने माना कि 159 ऐसे शिक्षक अंकन के लिए पहुँचे थे। पर अंकन केन्द्र पर बोर्ड कर्मचारी, जो केन्द्र का ऑब्ज़र्वर होता है, को पता चला तो 158 कर्मचारियों को वापस भेज दिया और 9 शिक्षकों को रिलिव कर दिया गया। बोर्ड चेयरमैन ने बताया कि इनमें से किसी भी शिक्षकों किसी भी छात्र की कोई उतर पुस्तिका चेक नहीं की। उन्होंने अपने तौर पर साफ़ किया कि अभी तक अंकन में कोई त्रुटि नहीं हुई है।
कहते हैं धूआँ तभी उठता है जब कहीं ना कहीं आग लगी हो। ऐसे पर इन शिक्षकों ने सही में अंकन किया या नहीं, शायद इसका पूरा सच कभी सामने आए या ना आए, पर अनुभवहीन शिक्षकों का अंकन केन्द्र पर जाने की बात तो खुद शिक्षा बोर्ड प्रशासन मान रहा है। जो अपने आप में बड़ा सवाल व शिक्षा बोर्ड की बड़ी लापरवाही दर्शाता है।