Haryana News 24
होली के बाद बासौड़ा पर्व की धूम। रेवाड़ी के शीतला माता मंदिर में आज होगा विशाल मेले का आयोजन।
Sunday, 31 Mar 2024 18:30 pm
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शीतला माता को लगाया जाएगा रात के बने बासी खाने का भोग। मेले को लेकर सभी तैयारियां पूरी। 

रेवाड़ी। होली के बाद पहले सोमवार को कल बासौड़ा पर्व मनाया जाएगा। रेवाड़ी में बासौड़ा पर्व पर सोमवार को विशाल मेले का आयोजन किया जाएगा। मेले को लेकर मंदिर को लाइटों और झूमर से सजाया गया है। रविवार को मंदिर कमेटी की ओर से सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है। मंदिर कमेटी के सेवादार अजय जोगी, राजेश जोगी, आशा, पूजा, अर्चना और रेखा आदि ने बताया कि रेवाड़ी के दिल्ली गेट स्थित शीतला माता मंदिर काफी प्राचीन है। दशकों से होली के आठ दिन बाद पहले सोमवार को यहां विशाल मेला लगता है जिसमे दूर दराज से महिला और पुरुष श्रद्धालु सैंकड़ों की संख्या में आते हैं और रात के बने बासे खाने का भोग लगाया जाता है। उन्होंने बताया कि मेले को लेकर विशेष तैयारियां की गई है यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए जिग जैग लाइन बनाई गई है और सुरक्षा के लिए लेडीज पुलिस और पुरुष जवान ड्यूटी पर रहेंगे। रात बारह बजे बाद से श्रद्धालुओ के आने का सिलसिला शुरू हो जाएगा जो कल दोपहर तक जारी रहेगा। उन्होंने बताया कि इस बार मंदिर को भी काफी बड़ा और सुंदर बनाया गया है। कल मेले को लेकर खिलौने की दुकानें और झूले भी लगाए गए हैं।

होली के आठवें दिन शीतला अष्टमी व्रत किया जाता है। इस साल यह व्रत सोमवार एक अप्रैल को मनाया जाएगा। ऐसी मान्यता है कि माता शीतला इस दिन प्रसन्न होती हैं और बच्चों की कई बीमारियों से रक्षा करती हैं। होली के आठवें दिन शीतला अष्टमी व्रत किया जाता है। इस साल यह व्रत एक अप्रैल सोमवार को मनाया जाएगा। ऐसी मान्यता है कि माता शीतला इस दिन प्रसन्न होती हैं और बच्चों की कई बीमारियों से रक्षा करती हैं। होली के आठ दिन बाद पहले सोमवार को यह व्रत आता है। इस व्रत को बासौड़ा व्रत भी कहा जाता है। इस दिन माता शीतला की पूजा की जाती है। हिदू पंचांग के अनुसार प्रति वर्ष शीतला अष्टमी का व्रत चैत्र माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को होता है। बताया जाता है कि व्रत की तैयारी सप्तमी से ही शुरू हो जाती है। उस रात को रसोई की साफ सफाई कर स्नान करने के बाद खाना बनाया जाता है। अगले दिन सुबह उठकर सूर्योदय से पहले रात का बासी खाना मंदिर में शीतला माता को चढ़ाया जाता है। इसमें मीठे चावल, दही, राबड़ी, गुड़ और कई अन्य वस्तुएं होती हैं। मां शीतला को भोग के रूप में मीठे चावल दही गुलगुले आदि का प्रसाद चढ़ाया जाता है। दरअसल शीतला अष्टमी के दिन घर में चूल्हा नहीं जलाया जाता है। एक दिन पहले तैयार किए भोजन का ही भोग लगाकर उसे ग्रहण किया जाता है। इस दिन के बाद से बासी खाना खाने की मनाही होती है।