×
No icon

पानी की बढ़ी डिमांड तो बढ़ गए पानी टैंकर के दाम।

नूंह मेवात में पीने के पानी की भारी किल्लत।

नूंह मेवात। आसमान से आग बरस रही है। पारा बढ़ने लगा तो भीषण गर्मी की वजह से पानी की डिमांड भी बढ़ने लगी। पानी की डिमांड जब जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग पूरी नहीं कर सका तो पानी टैंक सप्लाई करने वाले लोगों ने इस मामले में मोटी कमाई करनी शुरू कर दी। जो पानी का टैंकर भीषण गर्मी से पहले 1000 - 1200 रुपए में मिल जाता था। अब इसकी कीमतों में लगभग 2 गुणा इजाफा हो गया है। ग्रामीणों के मुताबिक तकरीबन 2000 रुपए का एक बड़ा पानी का टैंकर खरीद कर अपनी और अपने मवेशियों के प्यास बुझानी पड़ रही है। आपको बता दें कि नूंह जिले की अधिकतर गांवों में भूजल गहरा व खारा है। पीने योग्य पानी नहीं है। कुछ ही गांव में पीने योग्य पानी बचा है। ऐसे में पानी टैंक सप्लाई करने वाले माफिया इस कारोबार से अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं।

कुछ गांव में कई कई दर्जन पानी के टैंकर पानी भरने के लिए अपनी बारी का इंतजार करते देखे जा सकते हैं, जो पूरे जिले के ऐसे गांव में पानी सप्लाई कर रहे हैं। जहां पीने के पानी का भीषण जल संकट बना हुआ है, लेकिन बात लाख टके की यह है कि कुछ गरीब परिवार ऐसे हैं जो ना तो भूमिगत पानी का टैंक घरों में बनवा सकते हैं और अगर टैंक बनवा लेते हैं तो उनके पास सप्ताह भर में 2000 रुपए पानी का टैंक खरीदने के लिए कहां से आएंगे। ऐसे परिवारों की जान पर बन आई है। जन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी व कर्मचारी पूरी तरह से लोगों को पेयजल आपूर्ति करने में असफल साबित हो रहे हैं। यह दिक्कत सिर्फ एक गांव की नहीं बल्कि जिले के सैंकड़ों गांव की है।

इलाके के लोग आज से नहीं बल्कि कई दशकों से बिजली - पानी की बुनियादी सुविधाओं को आला अधिकारियों से लेकर सफेदपोश नेताओं के सामने उठाते रहे हैं, लेकिन आज तक भी इस समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है। कुल मिलाकर पानी की समस्या का समाधान कब होगा और गरीब परिवारों को पानी टैंकर खरीदने से कब छुटकारा मिलेगा। इसका जवाब किसी के पास नहीं है। अभी भी मौसम विभाग जून माह में कम बरसात की आशंका व्यक्त कर रहा है।

अगर हालात ऐसे ही रहे तो गरीब परिवारों को गुजारा करना भारी हो सकता है। ग्रामीणों ने सरकार व जिला प्रशासन के आला अधिकारियों से मांग की है कि उनके लिए पानी के टैंकरों का इंतजाम किया जाए। कागजों में भले ही जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग गांव में पीने के पानी के टैंक सप्लाई करने का दावा कर रहा हो, लेकिन ना तो उनकी हर घर जल योजना में कोई दम दिखाई दे रहा है और ना ही पानी के टैंकर विभाग द्वारा लोगों को सप्लाई किया जा रहा है। लोग अपनी जेब से दाम खर्च कर पानी खरीद कर पीने को मजबूर हैं और बहुत ही हिसाब से पानी का खर्च कर रहे हैं। आने वाले कुछ सालों में अगर बरसात कम हुई और आलम यही रहा तो वह दिन दूर नहीं जब यह इलाका राजस्थान के किसी रेगिस्तान की तरह नजर आने लगेगा।

 

Comment As:

Comment (0)