×
No icon

बलराज को मिला एकल रोइंग में पेरिस ओलंपिक में मौका।

करनाल के कैमला गांव रहने वाला है बलराज।

सेना में सिपाही है बलराज, पिछले 4 साल की तैयारी हुई सफल , अब है मेडल की तैयारी

करनाल।  छोटे से गांव कैमला का छोरा बलराज भारत के लिए आस है, उम्मीद है हरियाणा की, जिसने ठाना है देश के लिए मेडल लाना है। हम बात कर रहे हैं उस सिपाही की, जिसने सपना देखा आर्मी में भर्ती होने का, मेहनत की और टेस्ट, मेडिकल देकर अपने उस सपने को भी साकार कर लिया और वो सेना में सिपाही भर्ती हो गया, लेकिन जिंदगी में अभी कई और ऊंचाइयों को छूना था, और बहुत कुछ हासिल करना था तो वहां पर एक गेम देखा जिसे रोइंग कहते हैं, सेना में भर्ती हुए अभी दो साल ही हुए थे कि बलराज ने नौकायन में अपनी दिलचस्पी को बढ़ाया और लगातार अलग अलग टूर्नामेंट में हिस्सा लेने लगे, नेशनल लेवल पर कई मैडल भी आए। बलराज पिछले 6 साल से सेना में है, और रोइंग में खेलते हुए उसे 4 साल हो गए हैं

साउथ कोरिया के चुंगजू में आयोजित एशियाई ओलिंपिक क्वालिफायर में मेंस सिंगल्स के स्कल इवेंट में बलराज तीसरे स्थान पर रहे। इसके साथ ही उन्होंने रोइंग में भारत को पहला कोटा दिलावाया। उन्होंने 2000 मीटर रेस में 7 मिनट 01.27 सेकेंड का समय लेकर ब्रॉन्ज मेडल जीता। स्कल के इस इवेंट में टॉप पांच खिलाड़ी को ओलिंपिक कोटा मिलना था। ऐसे में बलराज को तीसरे स्थान पर रहने के कारण कोटा मिला।बलराज और उसके परिवार के लोग काफी खुश हैं, बलराज से पूरे देश को उम्मीद है, कि वो देश के लिए मेडल लेकर आएगा। बलराज पूणा में आर्मी के ट्रेनिंग सेंटर में रोइंग की प्रैक्टिस करता है, इस छोटे से गांव से निकलकर ओलंपिक के टिकट का सफर अपने आप में खास है, उम्मीद है कि हमारे देश का रोइंग में मेडल आएगा। 

 

Comment As:

Comment (0)