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जजपा सुप्रीमो डा. अजय सिंह चौटाला ने कहा बड़े चौटाला साहब ही परिवार को लेकर पुर्नविचार करेंगे तो एक होने को तैयार।

दुष्यंत चौटाला मनोहर सरकार के हिस्सा थे तो अगर घोटाले किये हैं करें जांच

जजपा के बाकी पांच प्रत्याशियों की घोषणा होगी आज-कल में।

जजपा सुप्रीमो डा. अजय सिंह चौटाला ने दादरी में किया जनसंपर्क, मीडिया से की बातचीत

चरखी दादरी। जननायक जनता पार्टी के सुप्रीमो व पूर्व सांसद डा. अजय सिंह चौटाला का परिवार को एकजुट होने को लेकर दर्द सामने आया। अजय सिंह ने एक बार फिर स्पष्ट किया कि हम पार्टी से निकाले तो उस समय भी कहा था कि ऐसे हालात पैदा कर देंगे, बड़े चौटाला साहब को एकजुट करना ही पड़ेगा। अब भी वे अपने बयान पर कायम हैं, बड़े चौटाला साहब ही परिवार को लेकर पुर्नविचार करेंगे तो एक होने को तैयार हैं। अगर इनेलो के दौरान परिवार दो फाड़ नहीं बनता तो पांच साल राज करते और काफी मजबूत होते।

दरअसल जजपा सुप्रीमो अजय सिंह चौटाला बुधवार को दादरी में लोकसभा चुनावों को लेकर जनसंपर्क अभियान के दौरान पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने कार्यकर्ताओं व सभाओं में पार्टी प्रत्याशियों के लिए प्रचार किया वहीं चुनाव में फील्ड में उतरते हुए मेहनत करने का आह्वान किया। अजय सिंह ने इस दौरान मीडिया से खुलकर बातचीत की। अजय चौटाला ने सीएम नायब सैनी और पूर्व सीएम मनोहर लाल के दुष्यंत की शिकायत पर कार्रवाई करने के बयान पर पलटवार किया, कहा कि दुष्यंत चौटाला हरियाणा की मनोहर सरकार के हिस्सा थे। अगर कोई घोटाले किये हैं तो वे अपनी जांच करें। दुष्यंत ने कोई घोटाला नहीं किया और रोका किसने है वे जांच के लिए तैयार हैं। साथ ही आगामी दिनों में भाजपा से गठबंधन होने के सवाल के जवाब में कहा कि भाजपा से कोई द्वेष नहीं है, साथ मिलकर काम किया है फिर मौका मिलेगा तो कोई हर्ज नहीं है। उन्होंने जजपा छोड़ने वालों को लेकर कहा कि चुनाव में ऐसा माहौल हर बार सभी पार्टियों में बनता है। किसी पार्टी का इंतजार नहीं बल्कि लोकसभा के जजपा के बाकी पांच प्रत्याशियों की घोषणा आज-कल में कभी भी कर सकते हैं। उन्होंने कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा कि10 साल के दौरान प्रभारी व प्रदेशाध्यक्ष बदलने के बाद भी अपना संगठन नहीं बना पाया। अब कांग्रेसियों में लोकसभा टिकट बंटवारे के लिए जूतम-पजार हो रही है, ऐसी हालत कांग्रेस नेताओं की भी है। चौटाला परिवार के तीन लोग एक चुनाव में आने पर कहा कि अनेकों बार एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं, राजनीति में ऐसा चलता है। भाजपा-जजपा नेताओं का विरोध करने वाले पार्टी विशेष के नेता हैं, किसान नेता विरोध करने वाले नहीं हैं। जजपा अपना वोट प्रतिशत के लिए नहीं बल्कि अपनी स्वयं की लड़ाई लड़ रही है। साथ ही कहा कि लोकसभा में जीतने वाले किसके साथ जाएंगे इस बारे बाद में तय किया जाएगा।

 

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