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चैत्र नवरात्र के सातवें दिन मंदिरों में मां दुर्गा के सातवें स्वरूप माता कालरात्रि की पूजा शुरू।

 रेवाड़ी के बारा हजारी स्थित प्राचीन सिद्धपीठ श्री दुर्गा मंदिर में मां भगवती की आराधना के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ी।

रेवाड़ी। चैत्र नवरात्र पर भक्ति अपने चरम पर पहुंच गई है। नवरात्रि के 9 दिनों में मां दुर्गा के 9 अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। इसी कड़ी में चैत्र नवरात्रि के 7वें दिन मां के कालरात्रि रूप की पूजा की जाती है। धार्मिक शास्त्रों की मानें तो इस दिन कालरात्रि के रूप की पूजा करने से नकारात्मक शक्तियों का साया नहीं सताता है।

चैत्र नवरात्रि का आज सातवां दिन है जो माता कालरात्रि को समर्पित है। नवरात्रों पर वातावरण भक्तिमय हो गया है। रेवाड़ी के ऐतिहासिक बारा हजारी चौक स्थित श्री दुर्गा मंदिर में सुबह से ही भक्तों का तांता लगा हुआ है। नवरात्रि के उपलक्ष में दुर्गा मंदिर को लाइट और झूमर लगाकर आकर्षक ढंग से सजाया गया है। मां की प्रतिमा का प्रतिदिन श्रृंगार किया जाता है। मंदिर के पुजारी अयोध्या प्रसाद शास्त्री और पंडित राधेश्याम शास्त्री ने बताया कि सनातन धर्म में नवरात्रों का विशेष महत्व होता है। नवरात्र पर प्रतिदिन नौ दिनों तक मां के विविध स्वरूपों की उपासना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। उन्होंने बताया कि आज सप्तमी है मंदिरों में मां दुर्गा के सातवें स्वरूप माता कालरात्रि की आराधना की जाती है। उन्होंने बताया कि नवरात्रों पर प्रतिदिन भक्तो की भीड़ बढ़ती जा रही है। कल दुर्गा अष्टमी पर दुर्गा मंदिर से लेकर शहर भर में झांकियां निकाली जाएगी और नवमी पर मंदिर में हवन यज्ञ कर प्रसाद वितरण किया जाएगा।

 

उन्होंने बताया कि सप्तमी का दिन चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भक्त मां के आशीर्वाद के लिए उपवास रखकर मां कालरात्रि की विधि-विधान से पूजा करते हैं। देवी कालरात्रि की पूजा करने से उपासक को कई आशीर्वाद और सिद्धियां प्राप्त होती हैं। मां दुर्गा का ये रूप दुष्टों का विनाश करने के लिए जाना जाता है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार मां दुर्गा के कालरात्रि ने असुरों का वध करने के लिए कालरात्रि का रूप लिया था। मां कालरात्रि को लेकर यह भी मान्यता है कि इनकी पूजा करने से मनुष्य को भूत-प्रेत या बुरी शक्ति का डर नहीं सताता है। 

 

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