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करनाल के कल्पना चावला मेडिकल अस्पताल में आई Bera Assr मशीन ।

करनाल। पूरे देश में कई दिव्यांग हैं जो बोल नहीं पाते , सुन नहीं पाते , जिन्हें पूरी ज़िंदगी परेशानी उठानी पड़ती है। लेकिन उनका वक्त रहते पता चल जाता तो शायद इलाज संभव था। दरअसल एक मशीन जिसका नाम Bera Assr , ये मशीन ये बता देती है कि कोई भी मरीज कितने प्रतिशत Duff है यानि बहरा है। किसी भी सरकारी योजना , सरकारी नौकरी या कानूनी जगह पर किसी दिव्यांग को उसकी दिव्यांगता का लाभ लेना होता है तो उसके लिए उसको सर्टिफिकेट की जरूरत पड़ती है और वो सर्टिफिकेट सरकारी अस्पताल से ही बनता है। कोई भी इंसान Duff यानी बहरा है तो उसका टेस्ट होता है कि वो कितना सुन पाता है और कितना नहीं , ये टेस्ट सरकारी मेडिकल कॉलेज और सरकारी अस्पताल में होता है। इसके लिए जो एडवांस टेक्नोलॉजी का टेस्ट होता है वो Bera Assr से होता है, जिसकी हरियाणा के मेडिकल कॉलेज में काफी कमी थी और लोगों को 5,5 साल की वेटिंग रहती थी, फिर मशीन तो बढ़ गई पर टेस्ट करने वाले ऑडियोलिस्ट की कमी आज भी है। लेकिन पहले के मुकाबले सुधार हुआ है। करनाल के कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज में Bera Assr मशीन की शुरुआत हुई है। ये टेस्ट दिन में महज 1 या 2 ही हो सकते हैं। ये टेस्ट मरीज की मर्जी से नही होता , उसे पहले सोना पड़ता है जब वो नींद की आखिरी स्टेज में पहुंचता है तो मशीन फिट की जाती है और उसके बाद टेस्ट का पूरा प्रोसेस शुरू होता है। इतना लंबा प्रोसेस होने के कारण ही ये टेस्ट दिन में 1 या 2 हो पाते हैं। करनाल के कल्पना मेडिकल कॉलेज में इसकी शुरुआत आज ही हुई है। कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर अपनी एक रिपोर्ट बनाकर भेजेंगे , जिसके बाद वो रिपोर्ट सरकारी अस्पताल में जाएगी , वहां पर डॉक्टर्स का एक पैनल बैठता है जो सर्टिफिकेट इश्यू करता है कि जिस मरीज ने टेस्ट करवाया है वो कितना डफ ( बहरा) है। 

जन्म लेने वाले बच्चों के लिए ये मशीन होती है काफी उपयोगी दरअसल कई बच्चे जन्म से डफ होते हैं, उन्हें सुनाई नहीं देता, अगर उन्हें बचपन से सुनाई नहीं देगा तो वो बोल भी नहीं पाएंगे और फिर उनकी ज़िंदगी मुश्किल भरी होती है। ऐसे में Bera Assr मशीन उनके लिए काफी उपयोगी हो सकती है। अमूमन एक बच्चा 6 महीने तक रिस्पॉन्ड करना शुरू कर देता है, अगर वो नहीं करता तो उसका Bera Assr के जरिए 5 साल की उम्र से पहले उसका टेस्ट करवा लेना चाहिए ताकि ये पता लगाया जा सके कि वो कितने प्रतिशत तक नहीं सुन पा रहा है, कितने प्रतिशत वो डफ ( बहरा) है ताकि समय रहते उसका इलाज शुरू हो सके। अगर उसका इलाज वक्त रहते शुरू नहीं होता तो उसके सुनने और बोलने में परेशानी होती है। 

वहीं अब करनाल के कल्पना चावला मेडिकल अस्पताल में इस मशीन के जरिए टेस्ट हो रहे हैं, लोग आ रहे हैं, और लोगों को इसका फायदा मिल रहा है ताकि वो टेस्ट के जरिए अपना सर्टिफिकेट हासिल कर सके वो कितने डफ ( बहरे ) हैं। उन्होंने हरियाणा के पूर्व सीएम मनोहर लाल का भी धन्यवाद किया है क्योंकि इसको लेकर वो उनके पास भी गए थे , जिसके बाद ये पूरा प्रोसेस हुआ ।

इस टेस्ट को करवाने में अभी भी वेटिंग थोड़ी लम्बी है, जहां पूरे प्रदेश में अलग अलग जगह सरकारी मेडिकल कॉलेज में मशीन तो आ गई पर अभी भी वहां ऑडियोलॉजिस्ट की कमी है जो इन टेस्ट को करते हैं ऐसे में उनकी भी समय रहते भर्ती हो जिसके जरिए लोगों को ज्यादा से ज्यादा इस टेस्ट का लाभ मिले। 

 

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