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सबसे पहले खाते हैं नए अनाज की रोटी

मेवात जिले के मढ़ी गांव के लोग इस मामले में सबसे ज्यादा खुशनसीब हैं। जिले में नहीं सूबे में मढ़ी ऐसा पहला गांव है , जहां सबसे पहले फसल पककर तैयार होती है। प्र

अनाज की रोटी तो सब लोग खाते हैं , लेकिन मेवात जिले के मढ़ी गांव के लोग इस मामले में सबसे ज्यादा खुशनसीब हैं। जिले में नहीं सूबे में मढ़ी ऐसा पहला गांव है , जहां सबसे पहले फसल पककर तैयार होती है। प्रदेश भर के लाखों किसानों के खेतों में भले ही हरी भरी खेती लहरा रही हो , लेकिन मढ़ी गांव में तो गेंहू की फसल होली से पहले ही कटने  लग जाती है।   जब तक जिले व प्रदेश के अन्य इलाकों में फसल पककर तैयार होगी , तब तक तो यहां के लोग नए अनाज की मुलायम और चमकदार देशी गेंहू की रोटी का जायका ले चुके होंगे। यह परंपरा कोई नई बात नहीं है , कई पीढ़ियों से गांव के लोग इसे देखते और महसूस करते नजर आते हैं। 


 मेवात जिले के नगीना खण्ड में मढ़ी गांव है। गांव की आबादी करीब 3-4 हजार बताई जाती है। गांव की जमीन के लिए बरसाती पानी के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं है। साल भर  में इस गांव के लोग एक बार ही फसल ले पाते हैं।  कई दशक का हरियाणा हो चुका ,लेकिन इस खण्ड के करीब 66 गांवों को नहरी पानी से नहीं जोड़ा जा सका। मढ़ी गांव का जलस्तर गहरा व खारा होने की वजह से खेती के लायक तो क्या , किसी काम में भी इस्तेमाल करने के लायक नहीं है। मढ़ी गांव के किसान सरसों , गेंहू , जो , चना , मसूर इत्यादि फसलों की खेती करते आ रहे हैं।  गांव के लोग जल्दी फसल पकने के पीछे सिंचाई नहीं होने का भी एक कारण बताते हैं , लेकिन पानी तो पूरे खण्ड के करीब पांच दर्जन गांवों में लगभग एक समान ही है। मढ़ी गांव में सरसों , मसूर , से लेकर गेंहू की फसल की कटाई शुरू हो चुकी है। सरसों तो जिले के अन्य गांवों और जिलों में काटी जा रही है ,लेकिन गेंहू की फसल तो अभी पकी भी नहीं है ,कटाई की बात तो दूर है। 

क्या है खास :- मढ़ी गांव में सदियों पहले कोई भूखा -प्यासा बुजुर्ग व्यक्ति आया था।  उसने गांव के किसी व्यक्ति से खाना मांगा।  ग्रामीणों ने उसकी जमकर मेहमान नवाजी की और खाने में देरी नहीं लगाई।  उसी समय उस बुजुर्ग ने गांव के लोगों को दुआ दी , कि कुदरत भी तुम्हें दुनिया से यानि अन्य गांवों से पहले रिजक - रोटी देगा।  बस उसी दिन से मढ़ी गांव में फसल सबसे पहले पकने लगी और गांव के लोग सबसे पहले नए अनाज की रोटी खाने लगे। 

बिन सिंचाई - बिन खाद की फसल :- मढ़ी गांव में देशी यानि 306 किश्म का गेंहू अधिकतर मात्रा में बोया जाता है। लंबा बढ़ने वाला यह गेंहू कम सिंचाई यानि बरसाती पानी से ही हो जाता है। सिंचाई के साधन नहीं होने के कारण इसमें खाद भी नहीं डाला जाता। इस गेंहू की शुद्धता का भी कोई सानी नहीं है। सबसे पहले नया और बिमारियों से मुक्त गेंहू मढ़ी गांव की शान को बढ़ाता है। 

 किसानों का कहना है कि अगर उनके गांव को आकेड़ा की तरफ से आने वाले नाले से पानी नसीब हो जाये।  अधिकारी और सरकार अगर उन पर थोड़ी मेहरबानी दिखाए , तो कम पैदावार देने वाली जमीन सोना उगल सकती है। 

 


 

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