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कालका के टिपरा में बिना लाइसेंस के चल रहे नशा मुक्ति केंद्र का पर्दाफाश।

नशा युवा पीढ़ी के लिए अभिशाप है नशा कम करने के लिए लगभग हर शहर में सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त नशा मुक्ति केंद्र देखने को मिलेंगे। हाल ही में कालका के टिपरा क्षेत्र में बिना लाइसेंस के चल रहे नशा मुक्ति केंद्र का खुलासा हुआ है। इस केंद्र से 46 मरीजों को मुक्त कराया गया, जिनमें से 35 मरीजों का मेडिकल परीक्षण कराया गया। मेडिकल परीक्षण के बाद 24 मरीज अस्पताल पहुंचे, जबकि बाकी मरीज फरार हो गए।

अधिकारियों के अनुसार, नशा मुक्ति केंद्र के मरीजों ने आरोप लगाया है कि उन्हें वहां मारा-पीटा जाता था। किसी का कान का पर्दा फाड़ दिया गया, तो किसी की आंख का पर्दा फाड़ दिया गया, जिससे उनकी दृष्टि समाप्त हो गई। कुछ मरीजों के हाथ भी तोड़ दिए गए। मरीजों ने यह भी आरोप लगाया कि स्टाफ खुद नशे में होता था और मरीजों को गंदा खाना खिलाया जाता था। एक युवक को मारपीट कर मानसिक रूप से बीमार कर दिया गया।

एएसपी मनप्रीत सिंह सूदन के नेतृत्व में एसडीएम कालका लक्षित सरीन की उपस्थिति में की गई छापेमारी में न्यू जनरेशन केयर फाउंडेशन ड्रग्स काउंसलिंग एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर पर कई खामियां पाई गईं। यह पाया गया कि केंद्र का लाइसेंस अगस्त 2023 में समाप्त हो चुका था और उसके पास नशा मुक्ति केंद्र चलाने के लिए कोई वैध पंजीकरण संख्या नहीं थी।

जांच में यह भी खुलासा हुआ कि मरीजों का कोई उपस्थिति रजिस्टर, दवाई की पर्ची या खुराक चार्ट नहीं था। डॉक्टर्स से आपातकालीन संपर्क का कोई साधन भी नहीं था। टीम का मानना है कि केंद्र बीएनएस पुनर्वास अधिनियम, हरियाणा नशा मुक्त केंद्र हरियाणा नियम 2010 संशोधित 2018, एनडीपीएस अधिनियम 1985 और अन्य अधिनियमों के प्रावधानों का उल्लंघन कर रहा था।

मरीजों ने आरोप लगाया कि उन्हें कीड़े वाला खाना खिलाया जाता था। एक बार तो दाल में चूहा गिर गया था और वही दाल सबको खिलाई गई। मरीजों ने सेक्टर 6 अस्पताल में अपने चोट के निशान दिखाए और बताया कि उन्हें मारा-पीटा गया था। चार युवकों ने कैमरे के सामने अपने दुख व्यक्त किए, जिसमें कुछ रो पड़े। एक युवक की आंख पर मुक्के मारे गए, जिससे उसकी दृष्टि कम हो गई। एक अन्य युवक के कान का पर्दा फाड़ दिया गया, और एक अन्य युवक की बाजू तोड़ दी गई। एक व्यक्ति ने अपनी पीठ पर बेल्टों से मारने के निशान भी दिखाए।

मरीजों को तीन एम्बुलेंस में पंचकुला अस्पताल लाया गया, लेकिन सुरक्षा के लिए केवल एक हवलदार भेजा गया। जब मेडिकल परीक्षण शुरू हुआ, तो 46 में से केवल 35 मरीजों की एंट्री हुई और 24 मरीज भर्ती हुए, जबकि बाकी फरार हो गए। इस मामले में एफआईआर दर्ज की जाएगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।


 

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