रेवाड़ी में भरतमुनि कला केंद्र की ओर से बाल भवन में नाटक कामंचन।
- Submitted By: Haryana News 24 --
- Edited By: Rajesh Sharma --
- Tuesday, 07 May, 2024
'नाटक नहीं' शीर्षक के माध्यम से समसामयिक विषय पर करारा व्यंग्य किया गया।
रेवाड़ी। भरतमुनी कला केंद्र द्वारा शुरू की गई एक अनूठी पहल "रंगमंच उत्थान श्रंखला के अंर्तगत बाल भवन में आयोजित 'नाटक नहीं' शीर्षक नाटक का सफल मंचन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर कोसली विधायक लक्ष्मण सिंह यादव को आना था लेकिन चुनाव में व्यस्तता के चलते वे नहीं पहुंचे। कार्यक्रम की अध्यक्षता भाजपा प्रवक्ता एवं विशिष्ट अतिथि वंदना पोपली ने की। इस अवसर पर पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी धर्मवीर बलडोडिया, केके सक्सेना, सुशांत यादव, रमेश वशिष्ट, वीरेन्द्र कुमार, एचसी संतोष, राष्ट्रीय कवि आलोक भाँडोरिया, संजय चौधरी, लोक कलाकार अभिषेक सैनी आदि उपस्थित रहे। मंच संचालन आईजीयू से सुधीर यादव ने किया।
संस्था के प्रधान मदन डागर व अंकुर ने संयुक्त रूप से बताया कि रंगमंच उत्थान श्रंखला के अंर्तगत कोई भी रंगकर्मी या नाट्य दल में आकर नाटक कर सकता हैं। उनके लिए मंच से लेकर सभी स्थानीय व्यवस्था संस्था करेगी। इसी श्रंखला के अंर्तगत शहर के वरिष्ठ रंगकर्मी सतीश मस्तान द्वारा निर्देशित व श्री वैष्णव लक्ष्मीकांत द्वारा लिखित "नाटक नही" के मंचन के अवसर पर भाजपा की प्रदेश प्रवक्ता वंदना पोपली मुख्यातिथि के रूप में उपस्थित रही। वही कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ट रंगकर्मी रामचरण ने की। वरिष्ट रंगकर्मी मास्टर देशराज व मास्टर विजय शर्मा विशिष्ट अतिथि के तौर पर उपस्थित रहे। कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती के समक्ष द्वीप प्रज्वलित कर की गई। अंकुर खेर ने बताया कि जून माह तक हर महीने एक दिन नाटक दिखाया जाएगा नाटक प्रेमियों की डिमांड को देखते हुए जुलाई माह से हर महीने तीन दिन नाटक दिखाया जाएगा।
संस्था की उपप्रधान हिमानी ने बताया नाटक "नहीं" हिंदी साहित्यकार वैष्णव लक्ष्मीकांत द्वारा लिखा गया है। यह नाटक आज के समसामयिक विषय पर करारा व्यंग्य हैं। इस नाटक में राजनीति से लेकर राज व्यवस्था पर कटाक्ष भी किया गया है। एक ओर जहां इस नाटक की कथा दर्शकों को बार-बार झकझोरती रही। वहीं नाटक के सभी किरदार अपने सशक्त अभिनय से दर्शकों का मन मोहने में सफल रहे।
मुख्य अतिथि वंदना पोपली ने बताया कि संस्था की यह शानदार पहल है कि रंगमंच उत्थान श्रृंखला के अंतर्गत नाटक जैसी विधा को जीवंत रखने के लिए सराहनीय प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने दर्शकों से अपील करते हुए कहा कि आप सभी अपने परिचितों को नाटक देखने के लिए प्रेरित करे क्योकि आज के समय मे जो फिल्मे बन रही है उनमे ना कोई अभिनय होता ना ही कोई अच्छा संगीत होता सिर्फ और सिर्फ फूहड़ता का ही प्रदर्शन किया जाता है। उन्होंने कहा कि फिल्मों से अच्छा तो नाटक है, जिसमे समाज के प्रति सकारात्मक संदेश दिया जाता है।