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अमन पहलवान ने ओलंपिक में कुश्ती के 57 किलोग्राम भार वर्ग में जीता कांस्य पदक।

ओलंपिक खेलों में कुश्ती में भारत का है ये पहला पदक।

अमन की जीत से कुश्ती प्रेमियों में जश्न का माहौल।

पेरिस ओलंपिक 2024 में भारत को आखिरकार रेसलिंग का मेडल मिल ही गया। हरियाणा के झज्जर जीके के बेटे अमन सहरावत ने यहां कमाल कर दिखाया है। विनेश फोगाट के डिस्क्वालिफिकेशन के बाद सारी नजरें रेसलर अमन सहरावत पर थीं और उन्होंने भी देश को निराश नहीं किया। अपने डेब्यू ओलंपिक में ही अमन ने पुरुषों के 57 किलोग्राम भार वर्ग में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम कर लिया है। अमन ने पुअर्तो रिको के रेसलर को ब्रॉन्ज मेडल मैच में एकतरफा अंदाज में 13-5 से शिकस्त देते हुए ये ब्रॉन्ज मेडल जीता और इस तरह पेरिस ओलंपिक में भारत की झोली में छठा मेडल आ गया। कुल मिलाकर इन गेम्स में भारत का 5वां ब्रॉन्ज है। इतना ही नहीं, वो ओलंपिक में इंडिविजुअल इवेंट में मेडल जीतने वाले सबसे युवा भारतीय भी बन गए। अमन की जीत से उनके पैतृक गांव में जश्न का माहौल है। गांव बिरोहड़ में लोगों ने एक दूसरे को मिठाई खिला कर एक दूसरे को शुभकामनाएं दी। 

अमन की कुश्ती देखने के लिए झज्जर के बिरोहड़ गांव में स्थित उनके घर के बाहर एक बड़ी स्क्रीन ग्रामीणों की ओर से लगाई गई थी। अमन का खेल देख के के लिए रात के समय करीब आधा गांव स्क्रीन के सामने उसकी जीत की दुआएं मांगता हुआ दिखाई दिया। ओलंपिक खेलों के इस मुकाबले की शुरुआत में क्रूज ने अमन को मैट से बाहर करते हुए एक पॉइंट ले लिया था। अमन ने भी पलटवार करते हुए जल्द ही लेग अटैक करते हुए उन पर दो पॉइंट हासिल कर लिए। पहले पीरियड में ऐसा ही कड़ा मुकाबला चलता रहा और क्रूज ने दोबारा 3-2 की बढ़त ली लेकिन अमन ने फिर वापसी की और 2 पॉइंट बटोरते हुए 4-3 की बढ़त ली। तीन मिनट के पहले पीरियड में आगे रहने के बाद दूसरे पीरियड में भी अमन ने जल्द ही स्कोर को 6-3 कर दिया। इसके बाद तो बस अमन का ही जलवा रहा और उन्होंने 7 पॉइंट्स और हासिल किए, जिसके दम पर 13-5 से उन्होंने ब्रॉन्ज अपने नाम कर लिया। अमन सहरावत के परिजनों का कहना है कि अमन के वापस भारत लौटने पर उसका जोरदार स्वागत किया जाएगा।

हम आपको बता दें कि रेसलर अमन सहरावत की ये सफलता बेहद खास है क्योंकि इस कैटेगरी में भारत ने लगातार 2 ओलंपिक मेडल जीत लिए हैं। इससे पहले टोक्यो ओलंपिक में रवि दहिया ने भी 57 किलो कैटेगरी में हिस्सा लिया था। रवि का भी वो पहला ही ओलंपिक था और उन्होंने सिल्वर मेडल जीता था। इससे भी ज्यादा खास बात ये है कि अमन दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में रवि के साथ ही ट्रेनिंग करते रहे हैं और उन्हें अपना गुरु मानते रहे हैं। इस बार उन्होंने नेशनल ट्रायल्स में रवि दहिया को ही हराकर क्वालिफायर्स में जगह बनाई थी और फिर पेरिस ओलंपिक का टिकट हासिल किया था।

ओलंपिक गेम्स में अमन सहरावत की इस बेहतरीन उपलब्धि के साथ ही भारत ने रेसलिंग में लगातार 5 वें ओलंपिक में अपनी सफलता का सिलसिला जारी रखा है। बीजिंग 2008 में सुशील कुमार ने ब्रॉन्ज मेडल के साथ शुरुआत की थी। फिर लंदन 2012 में सुशील ने ही सिल्वर और योगेश्वर दत्त ने ब्रॉन्ज जीता था। इसके बाद रियो 2016 में साक्षी मलिक ओलंपिक पोडियम पर पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनी थीं। उन्होंने ब्रॉन्ज जीता था. इसके बाद टोक्यो 2020 में रवि दहिया ने 57 किलो का ही सिल्वर और बजरंग पुनिया ने ब्रॉन्ज जीता था। अब अमन ने इस सिलसिले को बढ़ाया है।

 

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