तापमान बढऩे से गेहूं की फसल पर नहीं होगा विपरित असर।
- Submitted By: Haryana News 24 --
- Edited By: Himanshu Narang --
- Monday, 08 Apr, 2024
कृषि विभाग की गाइडलाइन का करें पालन।
करनाल स्थित राष्ट्रीय गेंहू एवं जौ अनुसंधान के निदेशक डॉ ज्ञानेंद्र सिह ने दी जानकारी
करनाल। बढ़ते तापमान के चलते गेहूं की फसल पर कोई विपरित असर नहीं होगा, क्योंकि गेहूं की फसल अब अंतिम स्टेज पर पहुंच चुकी हैं। जिस पर कोई विपरित असर नहीं पड़ेगा। ऐसा दावा भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल के वैज्ञानिकों ने ऐसा दावा करते हुए कहा कि इस बार बंपर उत्पादन होने की संभावना हैं। फसल काफी हैं, हरियाणा, उत्तराखड़ का दौरा किया, जहां पर हाथ से कटाई शुरू हो चुकी हैं। जबकि कई राज्यों जैसे महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में गेहूं की फसल कट चुकी हैं। संस्थान ने 2 अप्रैल को किसानों के लिए विशेष गाइडलाइन जारी की हैं, जिसके अनुसार जिन किसानों ने गेहूं की फसल देरी से लगाई थी, वे किसान कटाई से आठ से 10 दिन पहले मौसम अनुसार हल्की सिंचाई करें ताकि खेत में नमी बनी रहे।
संस्थान निदेशक डॉ ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि तापमान अच्छा हैं, फसल काफी अच्छी हैं। अब तापमान बढ़ेगा, लेकिन गेहूं की फसल इस स्थिति में पहुंच चुकी हैं, कि तापमान बढऩे का कोई असर नहीं होगा। किसान हल्की सिंचाई करें ताकि दाने को पकने स्थिति मजबूत हो। इसके अलावा उत्तराखड़, जम्मू कश्मीर आदि राज्यों में फसल पकने में करीब एक माह का समय लग सकता है। यहां के किसान फसल पर पूरी निगरानी रखेे, अगर पीला या भूरा रतवा दिखाई दे तो वैज्ञानिकों की सलाह अनुसार सप्रे करें। अनावश्क तौर पर सप्रे न करें।
उन्होंने किसानों से कहा कि वे कटाई करें तो नमी की मात्रा का ध्यान रखें कि नमी मात्रा 12 या 13 प्रतिशत के बीच होनी चाहिए ताकि स्टोरेज व मंडी में फसल बेचने में कोई दिक्कत न हो। महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ आदि में गेहूं की फसल कट चुकी हैं। वहां किसान स्टोरेज सही प्रकार से करें।
संस्थान निदेशक ने बताया कि बुलदखेड क्षेत्र को गठिया गेहूं उसके लिए जीआई टैग मिला हैं, उसकी डिटेल चेक की जा रही हैं। हालांकि सीमित क्षेत्र को ही जीआई टैग मिला हैं। इससे इस क्षेत्र को फायदा होगा। जो किसानों को अंतरराष्ट्रीय मार्केट के लिए जीआई टैग मिलना काफी अच्छा कदम हैं।हालांकि ओर अन्य राज्य मध्यम प्रदेश में गठिया गेहूं की ज्यादा खेती होती हैं, अच्छी खेती होती हैं अच्छ दाना अच्छी उपज ओर बीमारी का भी प्रकोप नहीं होता है।
उन्होंने बताया कि जिन किसानों ने संस्थान की नई प्रजातियां लगाई हुई हैं, उनके क्षेत्रों में पीला रतवा व भूरा रतवा आने की कोई संभावना नहीं हैं। इसके अलावा जिन किसानों ने पुरानी किस्में लगाई है उनके खेतों पीला व भूरा रतवा आने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता हैं। अगर किसानों के खेत में पीला व भूरा रत्तवा दिखे तो कृषि वैज्ञानिकों की गाइडलाइन के अनुसार सप्रे करें।